दिल्ली : द अवध टाइम्स : वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत ने चौथा स्थान पर एक नई उंचाईयों के साथ अपना नया कीर्तिमान स्थापित कर चुका है, नीति आयोग के चीफ एक्सक्यूटिव अफसर “बी वी आर सुब्रमण्यम” के अनुसार भारत ने विश्व में जापान को पीछे छोड़ते हुए अपना एक नया मुकाम हासिल किया है।
2025 में भारत की अर्थव्यवस्था चार बिलियन डॉलर ( लगभग 3,40,68,80,00,000 भारतीय रुपये ) हो चुकी है। हालाकिं इस मामले में अभी भी भारत से आगे अमेरिका, चीन और जर्मनी क्रमशः प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर अभी भी बने हुए हैं।
भारतीय विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी ढाई से तीन वर्षों में भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़ सकता है और ऐसा होने के बाद भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का रूप धारण करेगा। बी वी आर सुब्रमण्यम के अनुसार-
“भारत के लिए एक महान उपलब्धि होगी और हम सभी इसे सफल बनाने में पूरा सहयोग कर रहें हैं।”
इनके अनुसार भारत जिस तीव्रता के साथ चौथे स्थान पर पहुंचा है उसमे सबसे ज्यादा प्रमुख भूमिका अगर किसी की मणि जा रही है तो वो है “निर्माण क्षेत्र”, जिसके कारन भारत आज विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था के रूप में अपना परचम लहरा है। पिछले ग्यारह वर्षों में केंद्र सरकार ने निर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है और लगातार इसके विकास को ले कर सरकार का सतत प्रयास रहा है।

निर्माण क्षेत्र का बड़ा सहयोग :
सड़क निर्माण, रेल एवं परिवहन, पोर्ट निर्माण, आवासीय भवनों का निर्माण, मरम्मत आदि को सरकार ने अपनी नीतियों में शामिल कर विशेष ध्यान में रखा और इसका लाभ कोर सेक्टर के इंडस्ट्रीज जैसे सीमेंट, स्टील, बिजली, तेल आदि 50 से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों को मिला साथ ही इनसे जुड़े अन्य औद्योगिक क्षेत्रों को भी अच्छा खासा फायदा मिला है और इनमे भी तेजी को देखा गया है।
विदेशी निवेशकों का भरोसा :
केंद्र सरकार ने निवेश पर विशेष बल दिया और हर परिस्थिति में इसे जीवित रखा और बेहतर माहौल बनाये रखा जिसके कारण विदेशी निवेशकों ने अपना पूरा सहयोग और निवेश बनाये रखा और साथ ही भरोसे के अनुसार निवेश में बढ़ोतरी करते गए। उनके द्वारा अलग अलग क्षेत्रों में ऊँचे पैमाने पर निवेश हुआ जिसके कारण काफी वित्तीय सहायता प्राप्त हुई।
केंद्र सरकार ने जिस हिसाब का माहौल बना रखा है उसके अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अभी इससे कई गुना ज्यादा विदेशी निवेशकों के निवेश करने की संभावनाएं हैं जो कि निरंतर बढ़ती ही जा रही है।
हथियारों का निर्यातक : एक बड़ी उपलब्धि –
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहें भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर “मोदी” ने हथियारों के निर्माण कार्य को भी प्राथमिकता दी है, हथियार निर्माण, विमान की खरीद पर भी विशेष ध्यान दिया है जिसका असर आज यह है कि जहां भारत कुछ वर्ष पूर्व विदेशों से हथियार खरीद कर उनका इस्तेमाल करता था, वहीँ आज भारत स्वनिर्मित हथियारों को निर्यात करने लगा है।
हाल ही में हुए पाकिस्तान के साथ विवाद में भारत में निर्मित स्वदेशी मिसाइल “ब्रह्मोस, आकाश” अपनी मारक क्षमता और सटीकता के कारण पूरे विश्व में अपना अलग ही परचम लहरा दिया है, जिन्हे खरीदने के लिए लगभग 10 से ज्यादा देश तैयार बैठे हैं।
यह भी पढ़ें : योगी आदित्यनाथ करेंगे नोएडा में फिल्म सिटी का शिलान्यास, अगले माह से प्रारम्भ होगा निमार्ण कार्य

स्मार्टचिप एवं सोलर एनर्जी में प्रयासरत :
केंद्र सरकार के सतत प्रयास के बाद भारत आज हथियारों को निर्यात करने वाले देशों में भी अपना नाम लिखवा चुका है और इससे भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्राएं भी प्राप्त हो रहीं हैं। भारत ने थोड़े समय पहले मोबाइल निर्माण में अपना ताकत तो दिखाई और आज यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल उत्पादक एवं निर्यातक देश बन के उभरा है।
स्मार्टचिप, सोलर एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भी भारत सरकार अपना वर्चस्व स्थापित करने में लगी हुई है और अनुमानतः आने वाले कुछ वर्षों में चिप निमार्ण क्षेत्र में भी विश्व के कुछ चुनिंदा देशों में अपना बेशुमार नाम दर्ज करवाने में सक्षम हो जायेगा।
चुनौती क्या है ?
आर्थिक मामलों के जानकर एवं विशेषज्ञ “डॉ नागेंद्र कुमार शर्मा” के अनुसार :-
“निर्माण क्षेत्रों में बढ़ावा देने का असर अब विश्व स्तर पर साफ दिखना प्रारम्भ हो गया है निसंदेह निर्माण क्षेत्र में भारत बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ हमें औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए पहले से तैयार हो जाना चाहिए जहां ऑटोमेशन की एक अहम् एवं बड़ी भूमिका होगी।”
डॉ नागेंद्र कुमार शर्मा ने यह भी कहा कि अमेरिका, चीन, ताइवान, और कुछ अन्य यूरोपीय देशों में अपने अपने उत्पाद की क्वालिटी को बेहतर सुनिश्चित करने के लिए सर्कुलर इकॉनमी का अगुवा भी बनना पड़ेगा।
इस समय भारत में ऑटोमेशन के कारन बेरोजगार हुए भारतीय लोगों को रोजगार की उपलब्धता करवाना सुनिश्चित करना होगा, इसके लिए सरकार ऑटोमेशन के साथ साथ श्रम आधारित रोजगार को भी जीवित बनाये रखने की आवश्यकता है। यह उपलब्धि कृषि एवं निर्माण क्षेत्र में भारी निवेश करने के पश्चात्ही हासिल किया जा सकता है।
भारत की इस उपलब्धता पर आपकी क्या राय है ? हमें कमेंट कर के अवश्य बताएं। साथ ही आपके क्षेत्र से जुडी कोई समस्या अथवा कोई लेख अथवा कोई जानकारी है तो आप संपर्क पृष्ठ के जरिये हमारे साथ साझा कर सकते है।
ऐसी अपने शहर की और भी ख़बरों के लिए हमारे साथ जुड़ें रहे और हमें सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टग्राम पर फॉलो करना बिलकुल न भूलें।