भारत की 22 वर्षीय लॉ विद्यार्थी एवं इन्फ्लु एंसर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी पर पिछले कुछ दिनों से घमासान मचा हुआ है। शर्मिष्ठा पनोली एक 22 वर्षीय लॉ की विद्यार्थी गेन और इसके साथ ही सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी हैं। पिछले दिनों इनकी गिरफ़्तारी ने पूरे देश में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।
कोलकाता पुलिस के द्वारा गुरुग्राम शहर में शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ़्तारी के पश्चात यह मामला स्वतंत्र अभिव्यक्ति एवं धार्मिक भावनाओ के बीच टकराव जैसा हो गया है। प्रिये पाठक, इस लेख में हम इस विवाद को हर एक दिशा से देखने का प्रयास करेंगे और हर एक पहलू को अच्छे से समझेंगे।
कौन हैं शर्मिष्ठा पनोली ?
शर्मिष्ठा पनोली पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में रहने वाली एक 22 वर्षीय युवा कानून की छात्रा है। जो की पुणे के एक यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहीं हैं। वह इंस्टाग्राम पर अपनी सामाजिक पोस्ट्स एवं राजनितिक मुद्दों के कारण एवं अपने पारदर्शी तथ्यों को ले कर लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। हाल में ही उन्होंने ऑपरेशन सिन्दूर के सन्दर्भ में एक वीडियो पोस्ट किया जिसमे उन्होंने कुछ बॉलीवुड स्टार्स खास कर मुस्लिम अभिनेताओं का इस ऑपरेशन पर चुप रहने, कोई भी प्रतिक्रिया न देने का आरोप लगाया है और साथ ही इस्लाम एवं पैगम्बर मुहम्मद के बारे में भी कुछ आपत्ति जनक टिप्पड़ियां कीं।
क्या है यह वीडियो विवाद:
भारत पाकिस्तान के बिच हुए हाल ही के विवाद को लेकर भारत सरकार ने ऑपरेशन सिन्दूर लांच किया जिसमे पाकिस्तान के कई सरे आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर उसे तबाह कर दिया गया। हाल ही में शर्मिष्ठा पनोली ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया। जिसमे उन्होंने बॉलीवुड के मुस्लिम सितारों की चुप्पी पर सवाल उठाये इसके साथ ही कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली टिप्पड़ियां भी की।
देखते ही देखते यह वीडियो पूरे भारत में वायरल हो गया जिससे शर्मिष्ठा पनोली की खिलाफ मुस्लिम समुदाय के लोगों में आक्रोश बढ़ गया जिससे देखते ही देखते सोशल मीडिया पर #ArrestShamishta हैशटैग ट्रेंड करने लगा। जिसके बाद शर्मिष्ठा पनोली ने इस वीडियो को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से रिमूव कर दिया और सार्वजनिक रूप से माफ़ी भी मांगी। लेकिन तब तक शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ कई सारी शिकायतें दर्ज हो चुकी थी।

कोलकाता पुलिस ने किया गिरफ्तार:
30 मई 2025 को पंजीकृत शिकायतों के आधार पर शर्मिष्ठा पनोली को रात्रि के समय गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया, पुलिस ने बताया कि शर्मिष्ठा को कई बार नोटिस दी थी लेकिन वो और उनका परिवार कथित तौर पर स्थानीय पते से गायब था। जिसके फलस्वरूप एक सक्षम अदालत ने शर्मिष्ठा पनोली का अरेस्ट वारंट जारी किया और इसके चलते पुलिस ने कार्यवाही करते हुए उन्हें कोलकाता लाया गया एवं 31 मई 2025 को उन्हें अलीपुर अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें सीधे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
पुलिस ने अपने बयानों में स्पष्ट तौर पर कहा कि शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ़्तारी देशभक्ति या व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर नहीं की गयी है बल्कि उनकी गिरफ़्तारी धार्मिक भावनाओं को आहत करने तथा नफरत फ़ैलाने वाली वीडियो को पोस्ट करने के आधार पर की गयी है। पुलिस ने इसे “कानूनी प्रक्रिया का पालन” बताया।
राजनैतिक आरोप एवं प्रत्यारोप:
शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ़्तारी ने पश्चिम बंगाल में टीएमसी एवं भाजपा के बीच में एक तीखी राजनैतिक बहस को जन्म दे दिया। भाजपा के कई नेताओं ने चुनिंदा कार्यवाही एवं वोट बैंक की राजनीत करार दिया है। भाजपा का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस सरकार हिन्दुओं के पक्षपात करती है। आँध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने भी टीएमसी की आलोचना करते हुए का कि शर्मिष्ठा पनोली ने अपनी गलती स्वीकार की और माफ़ी मांगी इसके बाद भी अगर उनकी गिरफ़्तारी हुई तो यह न्याय का अपमान है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने सख्त कानून की मांगी की जिसमे धार्मिक नफरत फ़ैलाने वाले लोगों को कम से कम 10 वर्ष की कारागार की कानून हो।
स्वतंत्र अभिव्यक्ति बनाम धार्मिक भावनाएं:
शर्मिष्ठा पनोली का मामला स्वतंत्र अभिव्यक्ति और धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन की बहस को फिर से सामने लाया है, बीसीआई के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने इस गिरफ़्तारी को अभ्व्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” बताया और तत्काल रिहाई की मांग भी रखी। कांग्रेस नेता कार्ति चिताम्बरम ने अंतर्राज्यीय गिरफ्तारियों की आलोचना की है।
इसके अलावा कुछ दूसरे समूहों ने शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ कार्यवाही का भरपूर समर्थन किया और कहा कि सोशल मीडिया पर लोगों को अपनी पहुँच का जिम्मेदारी से उपयोग करना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
शर्मिष्ठा पनोली की गिरफतारी का मामला सिर्फ राष्ट्रीय स्तर तक सीमित नहीं रहा इस मामले के सन्दर्भ में नीदरलैंड के सांसद गीर्ट विल्डर्स ने शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ़्तारी को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” बताते हुए भतार के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी रिहाई को सुनिश्चित करने की अपील की है। यह अंतरराष्ट्रीय हस्ताक्षेप इस मामले की गंभीरता और इसके वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।
सोशल मीडिया पर तीखी बहस:
सोशल मीडिया पर #ReleaseSharmishta और #ArrestSharmishta जैसे हैशटैग ने इस मामले को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्टीय स्तर पर और गरम कर दिया। जहां कुछ लोग शर्मिष्ठा पनोली का समर्थन कर रहे थे वहीँ कुछ ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान माना। कुछ ने तो इस मामले में हुई कार्यवाही को वोट बैंक की रजनीति का नाम दे डाला।
भविष्य के लिए सबक:
शर्मिष्ठा पनोली का मामला भारत में डिजिटल युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक संवेदनशीलता और कानूनी जबाबदेही के बीच जटिल सामंजस्य को उजागर करता है। यह इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक एक चेतावनी है कि उनकी पोस्ट और उनकी बातों का रूप अधिक व्यापक एवं प्रभावी हो सकता है। उन्हें अपनी जिम्मेदारियां समझनी चाहिए।
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